Saturday, December 5

Earth's Origin to Dinosaur's End in hindi पृथ्वी का उत्पति से डायनोसोर के अंत तक का सफर

Earth's Origin to Dinosaur's End in hindi पृथ्वी का उत्पति से डायनोसोर के अंत तक का सफर 


क्या है पृथ्वी के बनने का राज ! – Geological History Of Earth In Hindi

 

पृथ्वी पर इंसानी सभ्यता का अभ्युदय लगभग 70 लाख साल पहले होने का अनुमान किया जाता है, जिनमें आज के आधुनिक इंसानों के पूर्वज भी शामिल थे। पृथ्वी पर जीवन लगभग 30 करोड़ साल पहले आया और इसी समय के दौरान खुद पृथ्वी पर डायनासोर जैसे कई जीवों की सभ्यता बनी और खत्म हुई। वैसे अकसर पृथ्वी में होने वाले क्रमागत विकास इन सभ्यताओं के विनाश का मूल कारण बने रहे हैं।

Ajj ki इस episode baat karenge प्राचीन पृथ्वी कैसी दिखती थी  और उस समय इसका भू भाग  कैसा दिखता था

तो, चलिये तैयार हो जाइए मेरे साथ पृथ्वी के इस प्राचीन और अंजान  रोचक यात्रा में,

हमारी पृथ्वी आखिर कैसे बनी ! – How Did Our Earth Form ?

 ज़्यादातर लोगों को लगता है कि, हमारी पृथ्वी बिग-बैंग के कारण ही बनी है। परंतु असल बात तो यह है कि, हम लोग पृथ्वी की उत्पत्ति के असल रहस्य को आज तक ढूँढने में सक्षम नहीं हुए हैं। वैसे कुछ शोधकर्ता यह मानते हैं की, हमारे सौर-मंडल के बनने के करीब 10 करोड़ साल के अंदर हमारी पृथ्वी बनी। वैज्ञानिकों की मानें तोपृथ्वी के उत्पत्ति का मूल कारण 10 सीरीज टक्करों  को माना जाता हैं।

प्रत्येक धमाके से निकलने वाले पत्थर के टुकड़े धीरे-धीरे इक्कठा हो कर पृथ्वी को बनाते हैं। हालांकि इसको विरोध करते हुए कुछ वैज्ञानिक यह भी कहते हैं की, चांद पर मिलने वाले कुछ पत्थर के अवशेष आज से लगभग 4.5 अरब साल पुराने हैं  और यह पृथ्वी के बनने के समय सीमा को पूर्ण रूप से समर्थन नहीं करते हैं।

वैसे भूविज्ञानियों के मध्य एक बहुत ही लोकप्रिय सिद्धांत प्रचलित है। इस सिद्धांत को थेईया का सिद्धांतभी कहते हैं। आज से कई अरबों साल पहले मंगल जैसा दिखने वाला थेईया” (Theia) नाम का एक खगोलीय पिंड पृथ्वी के साथ टकराया था। यह पिंड लगभग मंगल के आकार जितना ही था। टक्कर के कारण पृथ्वी पर जो वातावरण मौजूद था वह पूरे तरीके से खत्म हो गया। टक्कर से निकलने वाले पत्थरों के टुकड़े आपस में जुड़कर चांद का निर्माण करते हैं।

वैसे आज आप जिस पृथ्वी को देख रहें हैं, उसको बनाने में थेईया का बहुत बड़ा हाथ हैं, क्योंकि टक्कर के बाद पृथ्वी की जलवायु में ऑक्सिजन का मात्रा बढ़ी और जीवन की उत्पत्ति हुई। आज भी कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि, टक्कर से पहले की पृथ्वी में जो जलवायु मौजूद थी वह अभी भी इसके केंद्र में  मौजूद है।

अगर आप उस समय की पृथ्वी की तुलना आज के शुक्र ग्रह (Venus) के साथ भी कर दें तो कोई गलत बात नहीं होगी। हालांकि उस समय जलवायु लगभग न के बराबर ही थी परंतु कुछ मात्रा में जल के कण अब भी मौजूद थे। बाद में जब पृथ्वी धीरे-धीरे ठंडी होने लगी तब जा कर पृथ्वी पर पानी के समंदर बने। वैसे समंदर के बनने की इस प्रक्रिया के लिए जल के कणों की सघनता का होना अनिवार्य था। उस समय पृथ्वी में भारी मात्रा में मौजूद मेग्मा भी ठंडा हुआ और पानी के साथ मिल कर पृथ्वी के ठोस सतह (पत्थर) का निर्माण किया।

पृथ्वी के अद्भुत भूविज्ञान  के इतिहास में वैसे तो कई सारे प्राचीन खनिज मौजूद हैं, परंतु “Zircons” नाम का एक खनिज ऐसा भी हैं जो की पृथ्वी का सबसे प्राचीन खनिज भी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि, यह खनिज पृथ्वी पर लगभग 4.5 अरब साल पहले से ही मौजूद है यानी पृथ्वी के बनने के समय से ही।

पृथ्वी के प्रारंभिक महाद्वीपों का बनना ! :-

जैसा की सब को पता है, वर्तमान के समय में पृथ्वी पर 7 महाद्वीप मौजूद हैं। परन्तु क्या आप पृथ्वी के प्राचीन महाद्वीपों के बारे में जानते हैं ? लगभग हर एक महाद्वीप के नीचे बड़े-बड़े टेक्टोनिक प्लेट आज मौजूद हैं, पर प्रारंभिक महाद्वीपों के नीचे मौजूद टेक्टोनिक प्लेट काफी छोटे थे।वैसे विज्ञान की भाषा में इन प्रारंभिक महाद्वीपों को, “Metamorphic Rock Belt” भी कहा जाता था क्योंकि ज़्यादातर यह लावा से बनी हुई मेटामोर्फिक रॉक से ही अपने अस्तित्व में आए थे। पत्थरों की ये बेल्ट बहुत ही मूल्यवान धातु  और खनिजों से भरी हुई थी। लगभग 3 अरब साल के अंदर ही पृथ्वी की सतह काफी तेजी से बढ़ी और साथ ही साथ जीवन की उत्पत्ति के लिए आवश्यक इकाईयों का निर्माण होने लगा था।

 

पृथ्वी में जीवन का आना :-

शायद यह जो सवाल हैं (पृथ्वी पर जीवन कैसे और कब आया?), यह हर एक जीव विज्ञानी के मन में अकसर ही आता होगा। परंतु  विडंबना की बात तो यह है कि, इसके बारे में आज तक हम कोई सटीक जानकारी जुटा नहीं पाये हैं। एक सिद्धांत के अनुसार लगभग 3.5 अरब साल पहले पृथ्वी पर जीवन की पहला निव रखी गया थी।

 उस समय पानी में मौजूद कुछ पत्थरों के बीच “Photosynthesis” की प्रक्रिया का प्रारंभ हुआ था। सामान्य तौर पर यह प्रक्रिया पौधों के अंदर होती है जो की उनको अपना खाना खुद से बनाने के लिए सक्षम करती है।

 

पृथ्वी के बनने के 2.5 अरब सालों तक जलवायु में ऑक्सिजन की मात्रा धीमे-धीमे बढ़ती रही, परंतु जीवन का कोई भी निशान मौजूद नहीं था। इस समय पृथ्वी पर मौजूद टेक्टोनिक प्लेट के अंदर भी कोई सक्रियता नजर नहीं आई, जिसकी वजह से शायद इतने लंबे समय तक जीवन की उत्पत्ति भी नहीं हो पाई।  उस वक़्त शायद जीवन को पनपने के लिए कोई बदलाव की जरूरत थी जो की टेक्टोनिक प्लेट के सक्रियता के साथ ही भविष्य में होने वाला था।

एक विशाल महाद्वीप (Super-Continent) का अस्तित्व में आना, जिसने बनाया आज के महाद्विपों को ! :-

“Pangaea”  ! यह वह विशाल महाद्वीप है, जिसने आज के 7 महाद्वीपों को बनाया। यूं तो पृथ्वी के भूगोलीय इतिहास  में , Pangaea जैसे कई सारे विशाल महाद्वीप बने, जो की आकार में आज के महाद्वीपों से कई गुना बड़े थे, परंतु आखिर में जो महाद्वीप आज के महाद्वीपों को बनाने वाला था वह Pangaea था।

 

कुछ वैज्ञानिक यह भी मानते हैं की, कई महाद्वीपों में बटने के बाद भी आज के महाद्वीप आपस में कई बार इक्कठे भी हुए हैं। यह बात सोचने से भी काफी अटपटी लगती हैं, परंतु सत्य है। वैसे पृथ्वी में टेक्टोनिक प्लेट की सक्रियता के ऊपर महाद्वीपों की गति निर्भर करती हैं। इसलिए जिस समय टेक्टोनिक प्लेटों की संरचना जैसी रहेगी वैसे ही महाद्वीपों की संरचना भी रहेगी।

1 अरब साल पहले पृथ्वी थी एक बर्फ का गोला, दिखाई पड़ती थी कुछ ऐसी ! :-

अरबों सालों तक आग में झुलसने के बाद में, अब बारी थी बर्फ में जमने की। आज से लगभग 1 अरब साल पहले पृथ्वी पूरे तरीके से एक बर्फ का गोला बन चुकी थी। तापमान में काफी गिरावट आ चुकी थी।

 

वैज्ञानिक मानते हैं की इसका कारण एक विशाल महाद्वीप का आपस में विभाजन था। उस समय में पूरी की पूरी पृथ्वी मोटे बर्फ के चादर के तले, दबी पड़ी थी। इसीलिए कई बार पृथ्वी के इस अवस्था को देख कर वैज्ञानिक इसे “Snowball Earth” भी कहते हैं।

हड्डियाँ तक जमा देने वाली जलवायु के साथ ही , ग्लेसियर के जमाबड़े आपको पूरे पृथ्वी के ऊपर, देखने को मिलती। ऐसे में जीवन का पृथ्वी पर होना बहुत ही मुश्किल था। पहले से ज्वालामुखीयों से निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड उस समय पृथ्वी के जलवायु में फस कर रह गई थी, जो की बाद में पृथ्वी के सतह को काफी ठंडा करने के लिए जिम्मेदार बनी।

उस समय भूमध्य रेखा के पास स्थित जगहों पर भी ग्लेसियर के बड़े-बड़े टुकड़ों की मौजूदगी आज भी वैज्ञानिकों को हैरान कर देती हैं। ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं की, पृथ्वी के ऊपर जीवन को पनपने के लिए कितनी भारी संघर्ष से गुजरना पड़ा होगा।

जीवन का पनपना ! :-

 आज से लगभग 65 करोड़ साल पहले पृथ्वी की भूगोल में  काफी ज्यादा बदलाव देखे गए।

इस समय तापमान जीवन के पनपने ke लायक होने के साथ ही  जलवायु में ऑक्सिजन की मात्रा बढ़ने लगा। बर्फ के गोले से अब पृथ्वी धीरे-धीरे अपने असली अस्तित्व में आ रहीं थी। 30 से 54 करोड़ साल पहले पृथ्वी पर प्रथम जीवन की उत्पत्ति का अंदाजा लगाया जाता है। वैसे उस समय बनने वाले जीव एक कोशीय थे, और बाद में उनके अंदर विकास के चलते बहू-कोशीय जीवों का अस्तित्व आया।

पानी में पृथ्वी के प्रथम जीव की संज्ञा मिला थी, परंतु इसके ऊपर भी अभी पुष्टीकरण आना बाकी हैं। वैसे इस समय महाद्वीपों की गतिशीलता एक गौर करने वाली चीज़ है, क्योंकि इसी वजह से ही भू-भाग पर मौजूद खनिज समंदर के अंदर मिल पाये, जो की बाद में शायद जीवन के लिए एक पोषक तत्व बन कर सामने आया।

डायनासोर की उत्पत्ति तथा पृथ्वी पर जीवन का महाविनाश ! :-

“” यह पृथ्वी के भूगोलीय इतिहास में एक ऐसा वक़्त था, जब जीवन को पहली बार भारी तबाही का सामना करना पड़ा था। सिर्फ 60,000 सालों के अंदर ही  पृथ्वी पर उस समय मौजूद 90% जीवों की प्रजातियां नाश हो चुकी थी और जीवन की समूल नाश का खतरा मंडरा रहा था।

 आज से लगभग 25 करोड़ साल पहले यह भयानक काल पृथ्वी को अपने चपेट में ले लिया था।, इसी भयानक समय के दौरान ही डायनासोर का उत्पत्ति हुई थी।

हालांकि इसके बाद “Cretaceous Period” यानी आज से 6 करोड़ साल पहले भी दुबारा डायनासोर के विनाश के चलते उस समय पृथ्वी से लगभग 85% जीवों की प्रजातियां लुप्त हो गई थी। वैसे डायनासोर के लुप्त होने का कारण साइबेरिया में होने वाले एक विशाल ज्वालामुखी के धमाकों को माना जाता है। चौंकाने वाली बात यह भी हे कि, ज़्यादातर लोगों को आज भी यह लगता हे की डायनासोर के लुप्त का मुख्य कारण उल्का पिंड का टकराना है। जो की पूर्ण रूप से सत्य नहीं है।

हिम युग और इसका अजीब किस्सा ! :-

पृथ्वी में लगभग 5 हिम युगों की पुष्टि मिलती है। आज से 26 लाख साल पहले एक हिम युग का अंत हुआ हे और आगे भी ऐसे ही हिम युगों का चक्र लगा रहेगा। हिम युग के बारे में सबसे अजीब बात यह है कि, जब भी कोई हिम युग शुरू होता हे तो तब ध्रुवीय इलाकों से ग्लेसियर उत्तरी गोलार्ध तक पहुँचते है। ऐसे में उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध का ज़्यादातर हिस्सा बर्फ से ढक जाता है।

वैसे और एक विशेष बात यह भी हे कि, जब परिवेश गरम हो जाता है तो ग्लेसियर खुद व खुद ज्यादा ठंडी जगह पर चली जाते हैं।  हम लोग भी एक तरह से एक हिम युग में ही हैं, जहां पर सिर्फ ध्रुवीय इलाकों में भारी मात्रा में बर्फ को देखा जा सकता है।

Dosto aaj ka iss episode me baas itna hi, video achalaga to please like kijiye, aur channel ko subscribe jarur kijiye taki anewalam video aaplog miss na kare , firse milenge ek naye episode me tab tak ke liye , namaskar.

 

 

 



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