Tuesday, September 15

The Bermuda Triangle Mystery Solved?बरमूडा त्रिकोण रहस्य हल?

The Bermuda Triangle Mystery Solved?बरमूडा त्रिकोण रहस्य हल? 

पृथ्वी पर गीज़ा के पिरामिड हो या बरमूडा triangel  दोनों ही विषयों पर लोगों की चर्चाएं कभी थमती ही नहीं हैं। वैसे तो लोग कहते हैं की, हमारी दुनिया में ऐसी कई सारी जगह मौजूद हैं, जहां पर कई सारे गहन राज दाबे पड़े हैं। खैर कुछ लोग यहाँ तक भी कहते हैं की, उन जगहों पर कई प्रकार की अंजान शक्तियां अपना घर करके बैठी हुई हैं, जो की अजीब-अजीब वारदातों को अंजाम देती हैं। वैसे मेँ आपको यहाँ बता दूँ की, आज तक विज्ञान भी इन जगहों पर घटने वाली गुप्त घटनाओं और अजीबो-गरीब किस्से-कहानियों के बारे में कुछ भी टिप्पणी करने के लिए सक्षम नहीं हो पाया है।

 

बरमूडा ट्राएंगल या उत्तर अटलांटिक महासागर  का वह हिस्सा, जिसे 'डेविल्स ट्राएंगल' या 'शैतानी त्रिभुज' भी कहा जाता था, आखिरकार इस 'शैतानी त्रिभुज' की पहेली को सुलझा लिया गया है। साइंस चैनल What on Earth पर प्रसारित की गई एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अजीब तरह के बादलों की मौजूदगी के चलते ही हवाई जहाज और पानी के जहाजों के गायब होने की घटनाएं बरमूडा ट्राएंगल के आस पास देखने को मिलती हैं।

 

बरमूडा ट्राएंगल के बारे में सबसे पहले सूचना देने वाले क्रिस्टोफर कोलंबस ही थे। कोलंबस ही वह पहले शख्स थे जिनका सामना बरमूडा ट्रायएंगल से हुआ था। उन्होंने अपने लेखों में इस त्रिकोण में होने वाली गतिविधियों का ज़िक्र करते हुए लिखा है कि जैसे ही वह बरमूडा त्रिकोण के पास पहुंचे, उनके कम्पास  ने काम करना बंद कर दिया। इसके बाद क्रिस्टोफर कोलंबस को आसमान में एक रहस्यमयी आग का गोला दिखाई दिया, जो सीधा जाकर समुद्र में गिर गया।

अटलांटिक महासागर के इस भाग में जहाजों और वायुयानों के गायब होने की जो घटनाएं अब तक हुई हैं उनमें पाया गया है कि जब भी कोई जहाज़ या वायुयान यहां पहुंचता है, उसके राडार, रेडियो वायरलेस और कम्पास जैसे यंत्र या तो ठीक से काम नहीं करते या फिर धीरे-धीरे काम करना ही बन्द कर देते हैं। जिस से इन जहाजों और वायुयानों का शेष विश्व से संपर्क टूट जाता है। उनके अपने दिशासूचक यंत्र भी खराब हो जाते हैं। इस प्रकार ये अपना मार्ग भटककर या तो किसी दुघर्टना का शिकार हो जाते हैं या फिर इस रहस्यमय क्षेत्र में कहीं गुम होकर इसके रहस्य को और भी अधिक गहरा देते हैं। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि इस क्षेत्र में भौतिकी के कुछ नियम बदल जाते हैं, जिस कारण ऐसी दुर्घटनाएं होती हैं।

 

कुछ लोग इसे किसी परालौकिक ताकत की करामात मानते रहे तो कुछ को यह सामान्य घटनाक्रम लग रहा है। इस पर कई किताबें और लेख लिखे जाने के साथ ही फिल्में भी बन चुकी हैं। तमाम तरह के शोध भी हुए लेकिन तमाम शोध और जांच-पड़ताल के बाद भी इस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका है कि आखिर गायब हुए जहाजों का पता क्यों नहीं लग पाया, उन्हें आसमान निगल गया या समुद्र लील गया, दुर्घटना की स्थिति में भी मलबा तो मिलता, लेकिन जहाजों और विमानों का मलबा तक नहीं मिला।

 

 

द मैरी सैलेस्ट : बरमूडा triagle से जुड़ी सबसे अधिक रहस्यमय घटना को `मैरी सैलेस्ट´ नामक जहाज के साथ जोड़कर देखा जाता है। 5 नवम्बर, 1872 को यह जहाज न्यूयॉर्क से जिनोआ के लिए चला, लेकिन वहां कभी नहीं पहुंच पाया। बाद में ठीक एक माह के उपरान्त 5 दिसम्बर, 1872 को यह जहाज़ अटलांटिक महासागर में सही-सलामत हालत में मिला, परन्तु इस पर एक भी व्यक्ति नहीं था। अन्दर खाने की मेज सजी हुई थी, किन्तु खाने वाला कोई न था। इस पर सवार सभी व्यक्ति कहां चले गए? खाने की मेज किसने, कब और क्यों लगाई? ये सभी सवाल आज तक एक अनसुलझी पहेली ही बने हुए हैं।

फ्लाइट 19 :  फ्लाइट 19 के पांच विमानों ने 5 दिसम्बर, 1945 को  चार्ल्स टेलर के नेतृत्व में 14 लोगों के साथ  फ्लोरिडा से इस क्षेत्र के ऊपर उड़ान भरी और फिर ये लोग कभी वापिस नहीं लौट सके जिसमें पांच तारपीडो यान नष्‍ट हो गए थे। इस स्थान पर पहुंचने पर  टेलर के कंपास ने काम करना बंद कर दिया था। `फ्लाइट 19´ के रेडियो से जो अन्तिम शब्द सुने गए वे थे, 'हमें नहीं पता हम कहां हैं, सब कुछ गलत हो गया है, पानी हरा है और कुछ भी सही होता नज़र नहीं आ रहा है। समुद्र वैसा नहीं दिखता जैसा कि दिखना चाहिए। हम नहीं जानते कि पश्चिम किस दिशा में है। हमें कोई भी दिशा समझ में नहीं आ रही है। हमें अपने अड्डे से 225 मील उत्‍तर पूर्व में होना चाहिए, लेकिन ऐसा लगता है कि.... और उसके बाद आवाज आनी बंद हो गई।'

 

 

साल 1955 में Connemara IV का एक समुद्री नौका काफी रहस्यमयी तरीके से दुनिया से ओझल हो गया।  आज तक इस नौका के बारे में कुछ पता नहीं चला हैं। कहा जाता है की, बरमूडा त्रिभुज इलाके में सफर करते वक़्त इस नौका ने तीन बड़े-बड़े समुद्री तूफान झेले थे, परंतु हैरान कर देने वाली बात यह है की उसी समुद्री-तूफानों को झेलते वक़्त किसी एक तूफान के अंदर इस पर सवार लोग अचानक हवा में गायब  हो गए थे।

साल 1963 में दो अमेरिकी हवाई जहाज बरमूडा त्रिभुज क्षेत्र में आपस में ही टकरा गए। इस टक्कर में दोनों ही विमान पूरे तरीके से नष्ट हो गए थे। परंतु अजीब बात तो यह है की, दोनों बीमानों के बीच हुई टक्कर की जगह एक न हो कर दो-दो जगह हैं। यानी छानबीन करने पर पता चला की दोनों ही विमानों का मलवा एक दूसरे से काफी दूर समुद्र के ऊपर पड़ा है।

तो, आखिर यह कैसे संभव है? क्योंकि दोनों ही बीमानों का मलवा एक जगह पर न मिलकर दो दूर-दूर जगहों पर मिला। आज भी यह घटना लोगों के अंदर काफी ज्यादा विवादास्पद हैं।

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