भारत की 5 भूतिया जगहें, जहां रहती हैं आत्माएं, डर के मारे
'अनजाने स्थान' और 'रहस्य' ये दो ऐसे
शब्द हैं जिनका नाम सुनते ही लोगों की दिमाग की नसें तिलमिलाने लगती हैं। ऐसी कोई
भी बात लोगों को गौर से सुनने में मदद करती हैं। इनके जरिए ही हम डरते हैं, देखने को
उतारू होते हैं। यही नहीं आपने फिल्मों में भी
खूब देखा होगा कि कैसे डरावने भूतहा सीन में लोग डर जाते हैं। वे जंगलों में, इमारतों
में अपनी जान बचाने के प्रयास या फिर ऊपरी चक्कर को खत्म करने के लिए भाग-दौड करते
हैं। लेकिन ये सब सच होता है क्या? क्या लोग वाकई में अकेले किलों
में जाने से डरते हैं? क्या अमुक्त आत्माएं पुराने
स्थानों में बसेरा बनाकर रहती हैं?
ऐसे कई सवाल अक्सर आपके मन को भी कौंधते
होंगे। कई लोगों को मानना है कि दुनिया 21वीं सदी
में प्रवेश कर चुकी है। विज्ञान काफी तरक्की कर चुका है मगर जहां तक अंधविश्वास की
बात है वो अपनी जगह पर काम कर रहा है। दुनिया के तमाम देशों में पुराने राग अपनी
जड़ फैलाए हुए हैं। भारत के परिपेक्ष में भी यह बात लागू होती है। यहां के लोग आज
भी भूत-प्रेत, डायन आदि को मानते हैं। सोचिए, अगर वाकई
में ये कहानियां हकीकत बनकर सामने आ जाएं तो क्या होगा?
ऐसा सोचकर कठोर से कठोर व्यक्ति भी कांपने
लगता है। इतना ही नहीं कुछ जानकार मानते हैं कि भारत में ऐसी कई इमारते हैं, जो
भूत-प्रेत या भटकती आत्माओं के कारण सुर्खियों में रही हैं। ऐसे स्थान हजारों
वर्षों से एक भयानक श्राप को झेल रहे हैं। यहां जाने पर उूपरी चक्कर लोगों को
नुकसान पहुंचा देते हैं। आज ki episode me हम कुछ
किस्सों को जन्म देने वाली जगहों के पीछे की कहानी ke bareme baat karenge
उत्तर प्रदेश के ही एक जिले मेरठ में बेहद डरावना किस्सा है
‘भूत बंगले का’। यह बंगला मॉल रोड स्थित
कैंट बोर्ड के सीईओ के आवास के निकट है। सीईओ के आवास और व्हीलर्स क्लब के बीच एक
रास्ता अंदर की ओर जाता है। माल रोड से लगभग 650 मीटर अंदर जाने के क्रम
में कई झाड़ियों से भी जूझना पड़ेगा, लेकिन घबराने की बात नहीं क्योंकि बंगले की
दहलीज तक पक्की सड़क है। यहां पीले रंग के बंगले में पांव रखते ही कबूतरों की
फड़फड़ाहट की आवाज एक बारगी आपको डरा तो देगी ही।
हालांकि दीवारों पर
इतने अपशब्द लिखे मिलेंगे कि माजरा समझने में देर नहीं लगेगी। सैकड़ों वर्ष पुराने
इस बंगले का फर्श मजबूत हैं और ऊपर जाने की सीढ़ी भी दुरुस्त है। हां, दीवारें कहीं-कहीं से टूट
चुकी हैं, जालियां नुची हुई हैं और
धूल-गंदगी का अंबार है।
कमरों में प्रवेश
करने पर जूते-चप्पलों की छाप के साथ ही कोनों में दारू की बोतलें, सिगरेट, नमकीन के पैकेट और अन्य
आपत्तिजनक सामान की मौजूदगी यह बताने को काफी है कि डर की आड़ में यहां क्या-क्या
नहीं होता।
दुनिया के लिए वीरानी की चादर ओढ़े इस भूतिया बंगले में जाम
भी छलकते हैं और रंगीनियत भी होती है। इतना ही नहीं, एक कमरे में चार ईटें इस
तरह से रखी हैं कि साफ जाहिर होता है कि यहां आए दिन ताश या जुआ खेला जाता है।
कमरे हवादार हैं। धूप, बारिश से बचने के लिए पूरी तरह से सुरक्षित। किसी ने तो
काली और नीली स्याही से बुद्ध विहार तक का नाम दे दिया है।
भानगढ़ फोर्ट, राजस्थान के अलवर जिले में स्तिथ है। यह भारत
का टॉप मोस्ट हॉन्टेड प्लेस है। इसे आम बोलचाल की भाषा में भूतों का भानगढ़ कहा
जाता है। इस बारे में रोचक कहानी है कि 16 वीं शताब्दी में भानगढ़ बसता है। 300 सालों तक भानगढ़ खूब
फलता-फूलता है। फिर यहां कि एक सुन्दर राजकुमारी रत्नावती पर काले जादू में महारथ
तांत्रिक सिंधु सेवड़ा आसक्त हो जाता है। वो राजकुमारी को वश में करने लिए काला
जादू करता है पर खुद ही उसका शिकार हो कर मर जाता है । पर मरने से पहले भानगढ़ को
बर्बादी का श्राप दे जाता है और संयोग से उसके एक महीने बाद ही पड़ौसी राज्य
अजबगढ़ से लड़ाई में राजकुमारी सहित सारे भानगढ़ वासी मारे जाते है और भानगढ़
वीरान हो जाता है। तब से वीरान हुआ भानगढ आज तक वीरान है और कहते है कि उस लड़ाई
में मारे गए लोगो के भूत आज भी रात को भानगढ़ के किले में भटकते हैं। तांत्रिक के
श्राप के कारण उन सब कि आत्मा की मुक्ति आज तक नहीं हो पाई है।
यह जगह अब पुरात्तव विभाग अधीन है और उन्होंने सूर्यास्त के
बाद इसे किले में नहीं रुकने की सख्त हिदायत दे रखी है। सरकार ने भी पर्यटकों को
यहां अंधेरा होने से पहले चले जाने की चेतावनी जारी कर रखी है। लोगों का मानना है
कि आज भी उस तांत्रिक की आत्मा वहीं भटकती रहती है। तांत्रिक के श्राप के अनुसार
वह स्थान कभी भी बस नहीं सकता। वहां रहने वाले लोगों की मृत्यु हो जाती है, लेकिन उनकी आत्मा को
मुक्ति नहीं मिलती।
Rajastan ke जैसलमेर जिले का कुलधरा गांव जो की पिछले 170 सालों से वीरान पड़ा
हैं। कुलधरा गांव पालीवाल ब्राहम्णों का गांव था। कुलधरा गांव के हजारों लोग अपने
गांव की एक लड़की को अय्याश दीवान सालम सिंह से बचाने के लिए, एक ही रात मे इस गांव को
खाली कर के चले गए थे और जाते-जाते श्राप दे गए थे कि यहां फिर कभी कोई नहीं बस
पायेगा। तब से गांव वीरान पड़ा हैं।
कहा जाता है कि यह
गांव रूहानी ताकतों के कब्जे में हैं, कभी हंसता खेलता यह गांव आज एक खंडहर में
तब्दील हो चुका है। टूरिस्ट प्लेस में बदल चुके कुलधरा गांव में घूमने आने वालों के
मुताबिक यहां रहने वाले पालीवाल ब्राह्मणों की आहट आज भी सुनाई देती है। उन्हें
वहां हरपल ऐसा अनुभव होता है कि कोई आसपास चल रहा है।
बाजार के चहल-पहल की आवाजें आती हैं, महिलाओं के बात करने उनकी
चूडियों और पायलों की आवाज हमेशा ही वहां के माहौल को भयावह बनाते हैं। प्रशासन ने
इस गांव की सरहद पर एक फाटक बनवा दिया है जिसके पार दिन में तो सैलानी घूमने आते
रहते हैं लेकिन रात में इस फाटक को पार करने की कोई हिम्मत नहीं करता हैं। मई 2013 मे दिल्ली से आई
भूत-प्रेत व आत्माओं पर रिसर्च करने वाली पेरानार्मल सोसायटी की टीम ने कुलधरा
गांव में रात बिताई और यहां पर पारलौकिक गतिविधिया रिकॉर्ड की।
कहते हैं कि गोवा के किंग्स चर्च में तीन पुर्तगाली राजाओं
की आत्मा भटकती है और कई बार चर्च में आए लोगों को इनकी मौजूदगी का एहसास भी होता
है। यहां के लोगों का कहना है की किसी समय यहां तीन पुर्तगाली राजा हुआ करते थे।
इनमें वर्चस्व को लेकर अक्सर लड़ाई होती रहती थी।
एक बार होल्गेर नाम
के एक राजा ने अन्य दोनों राजाओं को इस चर्च में आमंत्रित किया और धोखे से जहर
देकर मार दिया। जब लोगों को होल्गेर की इस करतूत का पता चला तो उन्होंने इसके महल
को घेर लिया। जनता के आक्रोश को देखकर तीसरे राजा ने आत्महत्या कर ली। तीनों
राजाओं के शव को इसी चर्च में दफना दिया गया। इसके बाद से ही इस चर्च में ऊपरी
ताकतों का निवास माना जाता है।
आप अगर यहां जाना
चाहते हैं तो पहले वहां के लोगों से इसके लाकेसन के बारे में जान लें और हां यह
ऊपर पहाड़ी पर स्थित है। इसलिए चढ़ने उतरने का प्रबंध भी पहले ही कर लें। इतना ही
नहीं समय भी दिन का होना चाहिए नहीं तो वहां और लोग हों उनके साथ होलें । वैसे यह
जानना रोचक होगा कि यहां राजा कैसे रहे होंगे।
जब पश्चिम भारतीय प्रांत पर पेशवाओं का अधिकार था उस समय
पेशवाओं के उत्तराधिकारी नारायण नामक बालक की उसके चाची के आदेशानुसार हत्या करवा
दी गई थी। अपनी जान बचाने के लिए नारायण पूरे महल में घूमता रहा लेकिन फिर भी उसके
हत्यारों ने उसे ढूंढ़ कर मार डाला। वह अपने चाचा को आवाज लगाता रहा पर कोई उसकी
मदद के लिए नहीं आया। स्थानीय लोगों ने आज भी कई बार उसकी कराहने की आवाजें सुनी
हैं। चांदनी रात में वह जगह और अधिक भयानक हो जाती है।
Dosto aaj
ka iss episode me baas itna hi, video achalaga to please like kijiye, aur
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firse milenge ek naye episode me tab tak ke liye , namaskar.
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